Wednesday, November 17, 2010

माँ शब्द का रहस्य

        माँ शब्द के अंतर्तत्व में जाने पर एक  अद्वितीय  एवं  गूढ़ ज्ञान का पता चलता है , माँ कोई साधारण शब्द नहीं  बल्कि परमपिता परमेश्वर की  साक्षात  मूर्ति है  क्योंकि  परमपिता  परमपुरुष  परमेश्वर  भगवान सदाशिव  की  पूजा  लिंग  के  रूप  में  की  जाती  है , साधारण  अज्ञानी आदमी  लिंग  का  मतलब  गलत  निकालता  है  संसार  का  कोई  धर्म परमेश्वर को  स्त्री  या  पुरुष के रूप में साबित नहीं कर सकता , परमेश्वर लिंग एकमात्र  इस ब्रह्माण्ड का सृजक है  इसलिए  परमेश्वर ने पृथ्वी पर अपने होने का साक्षात जीवंत सबूत हर स्त्री-पुरुष , जीव-जंतु , पशु-पक्षी ,दोनों के  रूप में दिया है  जिससे  संसार  बढ़ता  और  चलता  जा रहा है धार्मिक ग्रंथों में भी  परमेश्वर सदाशिव  अर्धनारीश्वर के रूप विद्यमान है  यह संसार  लिंग  से  स्त्रीलिंग और पुर्लिंग  के  रूप में प्रकट हुआ तब स्त्री बनी  प्रकृति  और  पुर्लिंग  स्वयं  परमेश्वर  के  सहयोग  से सारा ब्रह्माण्ड जिसमे ग्रह, नक्षत्र की उत्पत्ति हुई , फिर  बाद में पशु-पक्षी और  वृक्ष की उत्पत्ति  अनन्तः परमेश्वर ने  मनु और शतरूपा  के रूप में  मैथुनी सृष्टि की उत्पत्ति शुरू की  जो आज भी यथावत  कालांतर से चलती आ रही है 

       परमेश्वर का स्त्री रूप ही माँ है और पुरुष रूप पिता है सम्पूर्ण प्रकृति ही जीवों का लालन पालन करती रही है उसी तरह माँ प्रकृति के रूप में अपने सभी बच्चों का लालन पालन करती है उसे हर तरह से महफूज़ रखने के लिए अटल है यद्यपि पिता परमेश्वर का पुल्लिंग रूप अवश्य है लेकिन बलिदान के तराजू में माँ ही सर्वोपरि मानी जाती है इसलिए माँ ही परमेश्वर का साक्षात जीवित रूप है क्योंकि माँ ही जीवात्मा को पोषित करती है 
       आज का मानव प्रकृति के साथ घिनौना खिलवाड़ करता आ रहा जिसे पृथ्वी अर्थात प्रकृति सहती आ रही है उसी तरह माँ भी अपने बच्चों की हर गलतियों को छुपाकर हर संभव बचाने का प्रयास करती है 

       माँ का मतलब मै + आ  अर्थात मैं मतलब परमशक्ति और का मतलब आत्मा अर्थात माँ , इस तरह माँ ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ कृति है जिसके माध्यम से परमेश्वर अपने अंश द्वारा अपनी शक्ति का संचार और विस्तार करता है 


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